रोमांच,उत्साह और चुनौती का मतलब बाइकिंग



युवाओ के लिए आज बाइक सिर्फ ट्रांसपोर्टेशन का जरिया न रहकर स्टाइल और फैशन स्टेटमेंट बन गया है.मेरे एक दोस्त ने अभी हाल में ही यामाहा की एक स्पीड बाइक खरीदी है.उसने बाइक की पॉवर बढ़ाने के लिए साइलेंसर मोडिफाई करवा लिया है.उसका कहना है कि स्पीड उसका जुनून है.बाइक पर सवार होकर लॉन्ग ड्राइव का मजा ही अलग है.वह उस युवा वर्ग का प्रतिक है जिसके लिए मोटरसाइकिल महज सुविधा न होकर जिन्दादिली से भरपूर एक शौक बन चुका है.इस शौक को जुनून भी कहा जा सकता है.आज शहरों में जैसे,लखनऊ ,भोपाल,जयपुर,कोलकाता,मुंबई,आदि में ऐसे युवकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है,जो बाइक को रोमांच,उत्साह और युवको युवकों जोड़ते है.यह पलक झपकते जीरो से ८० किलोमीटर की स्पीड में हवा को चीरते हुए निकलना चाहते है.डर और घबराहट जैसे शब्द इनकी डिक्शनरी में है ही नहीं.हवा से बातें करने वाली दो पहिये की गाड़ी में मनो उनकी दुनियां सिमटी हो.यह उनके लिए स्टाइल और फैशन स्टेटमेंट बन गया है.लेटेस्ट ट्रेंड के कपड़ों के साथ लेटेस्ट मोडल की बाइक दीवाने है युवा.......




{i-next 2 अप्रैल 2010 को प्रकाशित }

बचपन को आज भी जरूरत है किताबों की......

अब बच्चे बदल गए है.उन्हें बुक्स में इन्ट्रेस्ट नहीं रहा.वे कम्प्यूटर गेम्स और मूवीज के साथ बचपन गुजार रहे है.जरा सोचिये,ये कितना सही है?
कहाँ गए वो दिन,जब स्कूलों में छुट्टियाँ होते ही कॉमिक्स की दुकानों पर भीड़ लगने लगती थी.चंदामामा,नंदन,और पंचतंत्र,की कहानियों को पढ़कर बच्चे सोसाइटी के बारे में सीखते थे,लेकिन अब तो पूरा माहौल ही बदल गया है.एक समय था जब देवकी नंदन खत्री की चंद्रकांता को पढने के लिए लोगो ने हिंदी सीखनी कर दी थी.अब तो बच्चो की पढने की आदत छूट गयी है.कोर्स के अलावा वह कुछ पढना नहीं चाहते है.कोमिक्स की लाइब्रेरी अब दिखाई नहीं देती.अब तो अखबार पढ़ने वालो का भी टेस्ट बदल गया है.सुबह चाय की चुस्कियों के साथ एक हाथ में अखबार होता है,तो दूसरे में टी.वी.का रिमोट .इसके लिए पेरेंट्स भी दोषी है.अब दादा-दादी की कहानी सुनने को नहीं मिलती है.दुःख की बात यह है कि बच्चो को भी इसमें इन्ट्रेस्ट नही रह गया है.यह आदत अगर बचपन से पड़ जाती है तो फ्यूचर में इसका बुरा असर पड़ेगा .कितने बच्चे आज ऐसे है जो कि रामचरित मानस का पाठ कर पाते होगें.यह हमारे कल्चर की नीव है.नीव ही कमजोर पड़ गयी तो पूरे भविष्य की रूपरेखा बिगड़ जाएगी।

{i-next 30 march 2010 में प्रकाशित }