ज़िन्दगी की कहानी सुनिए कार्टून्स की जुबानी.....


हाल ही मेरी नजर एक कार्टून पर पड़ी,जिसमें मरीज डॉक्टर से कहता है कि मुझे गैस की पुरानी बीमारी है और नीचे लिखा था भोपाल गैस त्रासदी। कार्टून रेखाओ को ऐसा संयोजन है जो देखने वाले के मन को गुदगुदा देता है। साथ ही समाज की विसंगतियों पर कटाक्ष भी करता है। अखबारों और पत्रिकाओं का विशेष आकर्षण उसमें छिपे है। हमारे जीवन में इनका विशिष्ट महत्त्व इसलिए है क्योकि ये हमारे ज़िन्दगी से कहीं न कहीं जुड़े होते है। कार्टून हमारे जीवन से रिश्ता ही नहीं जोड़ते बल्कि कुछ सन्देश भी देते है। जो हम सब को सोचने पर मजबूर कर देते है। कार्टून के जरिये किया गया कटाक्ष और दिया गया सन्देश अक्सर हम पर गहरा असर छोड़ता है। सूझबूझ से बनाया गया एक छोटा सा कार्टून पूरे पेज के लेख से कहीं अधिक प्रभावकारी होता है। हंसी व्यंग से भरपूर कार्टून अखबार में छपी विश्लेषणपूर्ण ख़बरों की तुलना में आसानी से हम सब की समझ में आ जाते है। कार्टूनों के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आम आदमी उसमें समाज और व्यवस्था के प्रति आक्रोश की अभिव्यक्ति का संतोष प्राप्त करता है। उसके मन में समाज की विद्नबनाओं ,प्रवचनों और विरोध भाषाओ पर प्रहार करने की चाह है,जो वो कार्टूनों में साकार हुआ पाता है।


{i-next 5 जुलाई 2010 में प्रकाशित }