सोशल नेटवर्किंग साइट्स का क्रेज दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है.युवा इनसे घंटो चिपके रहते है.न उन्हें पढाई का ध्यान रहता है न ही वक्त का.मेरे भाई ने हाल ही में एक सोशल नेटवर्किंग साइट ज्वाइन की है.उस साइट के जरिये उन्होंने अपने एक पुराने दोस्त को ढूढ़ लिया है.जिससे उनका कई साल पहले संपर्क टूट चुका था.शुरुवात में तो दोनों ने घंटो चैटिंग की,लेकिन अब भी आलम यह है कि जनाब दिन भर नेट पर ही बैठे किसी न किसी से चैटिंग करते नजर आते है.इसलिए मुझे लगता है कि सोशल साइट्स के लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि इसका इस्तेमाल नशा बनता जा रहा है.लोग ट्विटर,फेसबुक,माइस्पेस,इबीबो,और ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स का जमकर यूज कर रहे है.आज सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके यूजर्स की संख्या हर साल कई गुना बढ़ रही है.कुछ लोग इसका गलत यूज भी कर रहे है और इसे युध्द का मैदान बना लिया है.कुछ युवाओं ने तो जुमले भी बना लिए है.कुछ भी हो,इसके बढ़ते क्रेज से नुकसान भी हो सकते है.इसके लिए युवाओ को सचेत रहना होगा।
{i-next 17 अप्रैल 2010 में प्रकाशित}
5 comments:
शानदार जानकारी! आभार!क्या युवाओं को रोक पाना संभव है ?
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4366 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
lagta tha ki jaise zindagi bahut beet gayee.aapko dekh kar mahsoos ho raha hai ki abhee bahut baki hai.dubara mil rahi hai khoi umar.aise hee aaspas rahiyega.
आपकी सोच काफी प्रेरणादायक है . ऐसे ही लिखते रहें . ब्लॉग शुरू करने की बधाई.
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
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